Header Ads

 

राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग ने बदल दिया दाखिल खारिज का नियम

पटना : राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग ने अंचलाधिकारियों को कहा है कि दाखिल-खारिज का आवेदन रद्द करने से पहले आवेदक का पक्ष जरूर सुनें। यह उनके लिए बाध्यकारी है। दाखिल-खारिज की प्रक्रिया एवं अधिनियम में इसका प्रविधान है, लेकिन लगातार इसकी अनदेखी की शिकायत मिल रही है। विभाग के अपर मुख्य सचिव दीपक कुमार सिंह ने गुरुवार को प्रमंडलीय आयुक्तों एवं जिलाधिकारियों को लिखे पत्र में कहा है कि ये दोनों अधिकारी इसे देखें कि इस मामले में प्रविधान का पालन हो रहा है या नहीं।
                    पत्र में कहा गया है कि कर्मचारी अथवा अंचल निरीक्षक की रिपोर्ट पर दाखिल खारिज का कोई आवेदन सीधे रद्द नहीं किया जा सकता है। रद्द करने से पहले अंचलाधिकारी या राजस्व अधिकारी संबंधित आवेदक को नोटिस दें। उन्हें आपत्तियों के बारे में बताएं और उस पर उनका पक्ष सुनें। इसके बाद भी अगर आवेदन रद्द होता तो संचिका में कारणों का स्पष्ट उल्लेख करें। आवेदक को सुनवाई एवं साक्ष्य प्रस्तुत करने का अवसर मिलना ही चाहिए। यह नैसर्गिक न्याय की मांग भी है, क्योंकि अंचलाधिकारी या राजस्व अधिकारी के स्तर पर एक बार आवेदन रद्द होता है तो आवेदक को भूमि सुधार उप समाहर्ता के न्यायालय में अपील में जाना पड़ता है।
                       कई बार किसी दस्तावेज के अपठनीय होने के आधार पर आवेदन रद्द कर दिया जाता है। किसी दस्तावेज के छूटने पर भी आपत्तियां लगाई जाती हैं। इनका निराकरण आवेदक को सुनवाई का अवसर देकर किया जा सकता है। अपर मुख्य सचिव के पत्र में दाखिल-खारिज अधिनियम 2011 का उल्लेख किया गया है। इसके अनुसार अगर कर्मचारी या अंचल निरीक्षक की रिपोर्ट से अंचल अधिकारी संतुष्ट नहीं हैं तो वह अपने स्तर से जांच कर सकेंगे। जांच के निष्कर्ष के आधार पर वे निर्णय लेंगे।
                     पत्र में साफ कहा गया है कि किसी भी हालत में दाखिल खारिज का आवेदन रद्द करने का आदेश आवेदक की सुनवाई के बिना नहीं दिया जाना चाहिए। प्रमंडलीय आयुक्तों एवं जिला पदाधिकारियों से कहा गया है कि ये अधिकारी अपने स्तर से इस आदेश के कार्यान्वयन की निगरानी करें। दाखिल-खारिज के अभिलेखों की इस दृष्टिकोण से समीक्षा करें कि इनमें प्रविधानों का अनुपालन किया गया है या नहीं।

No comments