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गमछे के रंग ने बढ़ाई मुखिया जी की परेशानी

- लोग दल विशेष से जोड़ने लगते हैं नाता, निर्दल के लिए भी झुकाव का संकेत

डुमरांव (बक्सर) : इस बार के लोकसभा चुनाव में मुखिया जी स्वयं को न्यूट्रल जोन में रखे हैं। न तो किसी पार्टी का सपोर्ट कर रहे हैं और न ही किसी प्रत्याशी के साथ घूम रहे हैं। शहर के चौक चौराहे पर बैठते हैं तो चुनाव संबंधित राजनीतिक चर्चा से स्वयं को दूर रखते हैं। लेकिन मुसीबत उनका पीछा नहीं छोड़ रही है। मौसम की बढ़ती गर्मी तथा चिलचिलाती धूप में गमछा लेकर चलना शौक से ज्यादा मजबूरी बन गया है। गमछा का रंग मुखिया जी को न चाहते हुए भी चुनाव के राजनीतिक पचड़े में धकेल देता है। लाल रंग का गमछा लेकर घर से निकले तो लोगों ने उनका रिश्ता भाजपा से जोड़कर चुनावी चर्चा शुरू कर दी। लोगों का यह रवैया नागवार गुजरा तो मुखिया जी ने तत्काल गमछा बदला। लेकिन ध्यान नहीं रहा की इस गमछा में हरा रंग का समावेश ज्यादा है। लोगों ने आकलन कर लिया कि मुखिया जी का समर्थन राजद की ओर है। परेशान मुखिया जी ने फिर गमछा बदला। अब जो गमछा लिए हैं वह एक निर्दलीय प्रत्याशी का पसंदीदा रंग है। परेशान मुखिया जी कहते हैं इस गर्मी में बिना गमछा के चलना मुश्किल है। वैसे गमछा के रंग से परेशानी सिर्फ मुखिया जी तक सीमित नहीं है। लोकसभा चुनाव में जो लोग अपने को चुनावी प्रपंच से दूर रखे हैं उनकी पहचान गमछे के रंग से की जा रही है। क्योंकि जनसंपर्क में निकले सभी प्रत्याशी अपने साथ गमछा रख रहे हैं तथा मौका मिलते ही अपने करीबी समर्थकों का स्वागत गले में गमछा डालकर करते हैं।

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